शनिवार, 11 जून 2011

252. हो ही नहीं (क्षणिका)

हो ही नहीं

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कौन जाने सफ़र कब शुरू हो
या कि हो ही नहीं
रास्ते तो कहीं जाते नहीं
चलना मेरे नसीब में हो ही नहीं। 

- जेन्नी शबनम (1. 2. 2011)
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