सोमवार, 15 अगस्त 2011

272. राम नाम सत्य है

राम नाम सत्य है

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कोई तो पुकार सुनो
कोई तो साहस करो
चीख नहीं निकलती
पर दम निकल रहा है उनका
वो अपने दर्द में ऐसे टूटे हैं
कि ज़ख़्म दिखाने से भी कतराते हैं
उनकी सिसकी मुँह तक नहीं आती
गले में ही अटक जाती है
करुणा नहीं चाहते
मेहनत से जीने का अधिकार चाहते हैं
जो उन्हें मिलता नहीं
और छीन लेने का साहस नहीं
क्योंकि
बहुत तोड़ा गया वर्षों वर्ष उनको
दम टूट जाए पर ज़बान चुप रहे
इसी कोशिश में रोज़-रोज़ मरते हैं
चिथड़ों में लिपटे बच्चों की
ज़बान भी चुप हो गई है
रोने केलिए
पेट में अनाज तो हो
देह में जान तो हो
लहलहाती फ़सलें प्रकृति लील गई
देह की ताकत
ख़ाली पेट की मजूरी तोड़ गई
हाथ अकेला 
भँवर बड़ा
उफ!
इससे तो अच्छा है
जीवन का अंत
एक साथ सब बोलो
राम नाम सत्य है!

- जेन्नी शबनम (15. 8. 2011)
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