गुरुवार, 5 जनवरी 2012

311. क़र्ज़ जो मुझे चुकाना नहीं (क्षणिका)

क़र्ज़ जो मुझे चुकाना नहीं

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जो वक़्त मुझे देते हो, माना ये है काफ़ी
पर मेरे लिए वो क़र्ज़ है
ऐसा क़र्ज़ जो मुझे चुकाना नहीं
क़र्ज़ चुकता किया, तो तुम छूट जाओगे
क़र्ज़ चुकाने दूसरे जन्म में कहाँ मिल पाओगे
इस जन्म में तुम्हारी कर्ज़दार रहना है
अगले जन्म में सिर्फ़ अपने लिए जीना है। 

- जेन्नी शबनम (2. 1. 2012)
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