गुरुवार, 31 जनवरी 2013

379. चकमा (क्षणिका)

चकमा 

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चलो आओ, हाथ थामो मेरा, मुट्ठी जोर से पकड़ो 
वहाँ तक साथ चलो, जहाँ ज़मीन-आसमान मिलते हैं 
वहाँ से सीधे नीचे छलाँग लगा लेते हैं 
आज वक़्त को चकमा दे ही देते हैं।  

- जेन्नी शबनम (31. 1. 2013)
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