शनिवार, 4 जनवरी 2014

434. आँचल में मौसम

आँचल में मौसम

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तमाम रास्ते बिखरे पत्ते
सूखे चरमराते हुए 
अपने अंत की कहानी कह रहे थे  
मुर्झाए फूल अपनी शाख से गिरकर 
अपनी निरर्थकता को कोस रहे थे 
उस राह से गुज़रते हुए 
न जाने क्यों 
कुछ मुर्झाए फूल और पत्ते बटोर लिए मैंने 
''हर जीवन का हश्र यही''
सोचते-सोचते न जाने कब  
अपने आँचल की छोर में बँधी  
मौसम की पर्ची मैंने हवा में उड़ा दी  
वृक्ष पर अड़े पत्ते मुस्कुरा उठे 
फूल की डालियों पर फूल नाच उठे 
बौराई तितलियाँ मंडराने लगी 
और मैं चलते-चलते 
उस गर्म पानी के झील तक जा पहुँची 
जहाँ अंतिम बार 
तुमसे अलग होने से पहले  
तुम्हारे आलिंगन में मैं रोई थी 
तुमने चुप कराते हुए कहा था- 
''हम कायर नहीं, कभी रोना मत, 
यही हमारी तक़दीर, सब स्वीकार करो''
और तुम दबे पाँव चले गए
मैं धीमे-धीमे ज़मीन पर बैठ गई 
जाते हुए भी न देखा तुम्हें 
क्योंकि मैं कायर थी, रो रही थी 
पर अब 
अपने आँचल में मौसम बाँध रखी हूँ 
अब रोना छोड़ चुकी हूँ 
"अब मैं कायर नहीं!"

- जेन्नी शबनम (4. 1. 2014)
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12 टिप्‍पणियां:

Misra Raahul ने कहा…

काफी उम्दा प्रस्तुति.....

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (05-01-2014) को "तकलीफ जिंदगी है...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1483" पर भी रहेगी...!!!

आपको नव वर्ष की ढेरो-ढेरो शुभकामनाएँ...!!

- मिश्रा राहुल

अनुपमा पाठक ने कहा…

आँचल में बंधे मौसम मन के ही कितने गीत गाते हैं...!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर.....
मैं कायर नहीं मगर भावुक हूँ....आँख नम है!!

सादर
अनु

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

हम कायर नहीं, कभी रोना मत,
यही हमारी तकदीर, सब स्वीकार करो !

निर्मल भावों का मौसम आंचल में सदा बंधा रहे।

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

फूलों से जिदगी से तुलना ---बहुत सुन्दर
नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट विचित्र प्रकृति
नई पोस्ट नया वर्ष !

Sadhana Vaid ने कहा…

वाह ! कितने नाज़ुक अहसासों से भरी कितनी खूबसूरत रचना है ! यही जज्बा होना चाहिये ! बहुत सुंदर !

Neeraj Neer ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , मखमली अहसास सीधे भीतर उतरती हुई ..

Misra Raahul ने कहा…

काफी उम्दा प्रस्तुति.....

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (05-01-2014) को "तकलीफ जिंदगी है...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1483" पर भी रहेगी...!!!

आपको नव वर्ष की ढेरो-ढेरो शुभकामनाएँ...!!

- मिश्रा राहुल

kuldeep thakur ने कहा…

***आपने लिखा***मैंने पढ़ा***इसे सभी पढ़ें***इस लिये आप की ये रचना दिनांक 6/01/2014 को नयी पुरानी हलचल पर कुछ पंखतियों के साथ लिंक की जा रही है...आप भी आना औरों को भी बतलाना हलचल में सभी का स्वागत है।


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Pallavi saxena ने कहा…

प्रेम में वियोग भाव से सजी सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

Swapnil Shukla ने कहा…

वाह ! बहुत बढ़िया प्रस्तुति . आभार . नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं .

कृ्प्या विसिट करें : http://swapniljewels.blogspot.in/2014/01/blog-post_5.html

http://swapniljewels.blogspot.in/2013/12/blog-post.html

Ramakant Singh ने कहा…

नश्वरता का बोध कराती